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शहादत का इनाम, चपरासी की नौकरी!

Manish, Jagran
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Updated on: Tue, 10 Jan 2012 01:06 AM (IST)

मनीष शर्मा, बठिंडा

देश की रक्षा के लिए जान की कुर्बानी देने वाले शहीद के परिवार को चपरासी की नौकरी, यह बेहद शर्मनाक ऑफर पंजाब सरकार ने तलवंडी साबो के शहीद सिपाही जगसीर सिंह के परिवार को दिया है। वह पिछले छह वर्षो से सरकारी नौकरी पाने को दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। शहीद के वारिसों को नियम-कायदों के भंवर जाल में फंसाकर सरकारी नौकरी देने से कन्नी काटी जा रही है। 10 जनवरी को शहीद जगसीर सिंह की बरसी है। इसको लेकर एक बार फिर उसके परिजनों की आंखों में शहीद के प्रति अनदेखी का दंश स्पष्ट दिखाई पड़ता है।

दरअसल, सब्जी बेचकर घर का गुजारा करने वाले मलकीत सिंह (55) का बड़ा बेटा जगसीर सिंह 4 जनवरी 2003 को बठिंडा में हुई भारतीय सेना की रैली में भर्ती हुआ था। उत्तर प्रदेश के फतेहगढ़ में ट्रेनिंग होने के बाद उसे 13 सिख एल. इनफेंटरी में तैनात कर दिया गया। दो बहनों भिंदर कौर(19), जोगे कौर (16) तथा दो भाइयों कुलविंदर सिंह (25), करनवीर सिंह (12) का सरकारी नौकरी में तैनात एकमात्र यह भाई जगसीर सिंह 30 दिसंबर 2005 को जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में सेना के टेरेरिस्ट सर्चिग आपरेशन के दौरान अचानक दुश्मन की गोली का शिकार होकर शहीद हो गया। 10 जनवरी 2006 को उसकी पहली बरसी के अवसर पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कांग्रेसी विधायक जीतमहिंदर सिद्धू ने शहीद के घर आकर उन्हे 5 लाख रुपए की नकदी व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी, लेकिन घोषणा पूरी होना दूर, उसके बाद कोई नेता या अफसर उनके घर तक नहीं गया।

शहीद के भाई कुलविंदर सिंह ने कहा कि वर्ष 2006 में उसने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया लेकिन तब से कोई सुनवाई नहीं हुई। वर्ष 2009 में सरकार ने कोई नए नियम बनाए कि ग्रैजुएट को दर्जा तीन या क्लर्क और बारहवीं पास को दर्जा चार कर्मी की नौकरी मिलेगी। इससे उसे दर्जा चार कर्मी की नौकरी ऑफर की जा रही है।

बेटे की शहादत से गौरवान्वित मां दलजीत कौर (48) तो नम आंखों एवं रुंधे गले से कहा कि ‘जेकर ऐसे तरां शहीदां दी अनदेखी हुंदी रही तां किहड़ी मां अपणे लाल नूं देश दी राखी लई सरहद ते भेजूंगी’ कहते हुए फफक -फफक रो पड़ी।

शहीद के भाई कुलविंदर सिंह ने कहा कि वह बारहवीं करने के बाद बेरोजगार घूम रहा है। उसका भाई करनवीर सातवीं, बहन जोगे कौर दसवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है। सेना की तरफ से मिलने वाली 10 हजार रुपये की पेंशन के आधार पर वह गरीबी से जूझते हुए बमुश्किल दो जून की रोटी का बंदोबस्त कर रहे है।

डीसी केके यादव ने कहा कि वह शहीद के नौकरी मामले की पूरी रिपोर्ट चैक करेंगे। इसके बाद उनका बनता हक व सम्मान दिलाया जाएगा।

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